हिमाचल प्रदेश सरकार के 6 बागी विधायकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला लोकसभा चुनाव के साथ होंगे उपचुनाव !
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस से बगावत करने वाले बाग़ी विधायक मुश्किल में फंस गए हैं। विधानसभा स्पीकर बाकी विधायकों की सदस्यता को रद्द कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने इन सीटों पर उपचुनाव कराने का ऐलान कर दिया है। बागियों की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें मायूसी ही मिली तो बागियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश। उपचुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के विधायक मुश्किल में हैं।
विधानसभा स्पीकर ने बजट सत्र में पार्टी वेप का उल्लंघन करने पर विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया किया है एक साथ छह विधायकों की सदस्यता चली गई है। इसके बाद चुनाव आयोग ने इन सीटों को खाली मानते हुए उपचुनाव कराने का ऐलान भी कर दिया है। 1 जून को हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ ही छह सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव भी होने हैं।
ऐसे में विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ बाग़ी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने विधायकों को सदन की कारवाही में मतदान करने या भाग लेने की अनुमति देने से भी इंकार कर दिया है यानी विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा स्पीकर कुलदेव पठानिया ने जो फैसला सुनाया था उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है।
ऐसे में बागियों के पास बहुत ही कम विकल्प बचे हुए हैं संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की पीठ में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंह भी जो राज्यसभा चुनाव में इन विधायकों के क्रॉस वोटिंग की वजह से हार गए थे । उन्होंने अदालत को बताया कि अब चुनाव की अधिसूचना से अनुच्छेद 399 लागू हो गया है इसीलिए किसी भी नए चुनाव पर रोक लगाने का कोई सवाल ही नहीं है । और इसके साथ अयोग्यता पर रोक लगाने का भी कोई सवाल नहीं है ।
सिंगवी की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि अदालत अयोग्यता पर रोक नहीं लगा रही है बल्कि नए चुनावों पर रोक लगाने के सवाल पर विचार करेगी जिन विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने आयोग ठहराया है। उसमें सुधीर शर्मा राजेंद्र राणा देवेंद्र भुट्टो रवि ठाकुर इंद्र दत्त लखनपाल और चेतन्य शर्मा शामिल हैं।